अध्याय 2 भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ चेप्टर 3- दक्षिण भारत: चोल प्रशासन, कला व साहित्य Q 1. चोलकालीन स्थानीय स्वायत्तता पर टिप्पणी लिखिए। उत्तर:. चोल प्रशासन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता ग्रामीण एवं नगरीय स्तर पर स्थानीय स्वायत्तता की व्यवस्था थी जो प्रतिनिधि संस्थाओं, उर, सभा, महासभा एवं नगरम् के द्वारा संचालित होता था। इनके सदस्यों के लिए शैक्षणिक, आर्थिक और नैतिक योग्यताएँ अनिवार्य थीं। इन निर्वाचित सदस्यों को पेरु मक्कल कहा जाता था। सदस्य समितियाँ जिन्हें वारियम कहा जाता था, के माध्यमसे सिंचाई व्यवस्था, भूमि विवरण, लगान एवं करों की वसूली, मंदिरों की देखरेख, न्याय आदि प्रशासनिक कार्यों की देखभाल होती थी। उर सामान्य वयस्क पुरुष करदाताओं की सभा थी, जबकि सभा महासभा में सिर्फ ब्राह्मण सदस्य होते थे। इनको आन्तरिक स्वायत्तता प्राप्त थी। केन्द्रीय हस्तक्षेप न के बराबर था। वस्तुतः ग्राम लघु गणतंत्र ही थे। इस प्रकार चोल प्रशासन सुसंगठित एवं कार्यकुशल शासन था। Q 2. चोलों के केन्द्रीय प्रशासन पर टिप्पणी लिखिए। उत्तर:. चोल शासन का स्वरूप राजतन्त्रात्म...