वह कोशिकांग जहाँ प्रकाश संश्लेषण की अभिक्रिया सम्पन्न होती है, हरितलवक (chloroplast) कहलाता है। पेड़-पौधों के सभी हरे भागों तथा पत्तियों में हरितलवक पाया जाता है। उच्चश्रेणी के पादपों में हरितलवक पर्णमध्योतक कोशिकाओं (Mesophyle cells) में उपस्थित रहता है। पत्ती की एक कोशिका में 20-40 हरितलवक पाये जाते हैं। प्रत्येक हरितलवक लाइपोप्रोटीन की दो एकक झिल्लियों (unit memberanes) द्वारा घिरा रहता है। इन दोनों झिल्लियों के मध्य परिकला अवकाश पाया जाता है। बाह्यकला प्रोटॉनों के प्रति पारगम्यता तथा आन्तरिक कला प्रोटॉनों के प्रति अपारगम्य होती है। हरितलवक के दो आन्तरिक भाग होते हैं, जिन्हें ग्रेना (Grana) एवं स्ट्रोमा (Stroma) कहा जाता है। स्ट्रोमा या पीठिका हरितलवक का मैट्रिक्स भाग होता है, जिसमें प्रोटीनयुक्त विषमांगी तरल पदार्थ विद्यमान रहते हैं। इसमें 70S राइबोसोम, द्विकुण्डलित DNA, आस्पियोफिलिक बूंदें घुलित लवण एवं एन्जाइम पाये जाते हैं।
जीवाणु एक कोशिकिय जीव है, जबकी विषाणु अकोशिकिय होता है। जीवाणु सुसुप्त अवस्था मे नहीं रहते है, जबकी विषाणु जीवित कोशिका के बाहर सुसुप्त अवस्था मे हजारों साल तक रह सकते है और जब भी इन्हें जीवित कोशिका मिलती है ये जीवित हो जाते है। जीवाणु बैक्टीरिया है, जबकी विषाणु वायरस हैं। विषाणु पर एन्टीबायोटिक दवाओं का असर नही होता है।
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