उपभोक्ता- किसी वस्तु या सेवा का मूल्य चुका कर उसे प्राप्त कर के उसका उपयोगकर्ता ही उपभोक्ता कहा जाता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
- भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए माल विक्रय अधिनियम 1930 बनाया गया था
- 24 दिसंबर 1986 को भारतीय संसद में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 पारित किया गया।
- राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को मनाया जाता है।
- इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता विवाद का निवारण तीन स्तर पर किया जाता है।
विधिक सेवा अधिनियम 1987 में पारित किया गया था
प्रतिवर्ष 5 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है
विधिक जागरूकता-- समाज के प्रत्येक व्यक्ति को नियमों कानूनों तथा सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने का कार्य ही विधिक जागरूकता कहलाती है
सूचना का अधिकार-RTI (RIGHT TO INFORMATION) --सूचना का अधिकार अधिनियम लोकसभा में 15 जून 2005 को पारित हुआ तथा 13 अक्टूबर 2005 को संपूर्ण भारत में लागू हो गया।
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत देश के नागरिक को निम्न अधिक अधिकार दिए गए हैं
1. राज्य सरकार या केंद्र सरकारी किसी भी विभाग के कार्यालय से सूचना प्राप्त कर सकता है
2. कोई भी दस्तावेज देख सकता है अथवा दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति ले सकता है
3. कोई भी नागरिक मजदूरी के मस्टरोल, लॉग बुक ,केशबुक ,टेंडर के दस्तावेज, तथा विभाग की अन्य योजनाओं की जानकारी भी ले सकता है
Note** राष्ट्र की सुरक्षा ,विज्ञान ,आर्थिक मामलों की गोपनीय जानकारी तथा विदेशों से प्राप्त कोई भी गोपनीय जानकारी, गुप्तचर विभाग व सीमा सुरक्षा बल से संबंधित सूचनाएं आम नागरिक को नहीं दी जा सकती ।
RTI से सूचना किस प्रकार प्राप्त की जा सकती है
भारत का कोई भी नागरिक सूचना लेना चाहता है तो उसे निर्धारित प्रपत्र में आवेदन देना होगा आवेदन पत्र के साथ ₹10 नगद या पोस्टल आर्डर के रूप में जमा कराने होंगे।
अथवा आरटीआई की वेबसाइट rtionline.gov.in पर जाकर भी सूचना मांग सकता है
सूचना CD या फ्लॉपी में मांगने पर ₹50 ओर जमा करने होंगे
सूचना फोटोकॉपी में मांगने पर प्रति पृष्ठ ₹2 जमा करना होगा।
कार्यालय में रिकॉर्ड देखने हेतु ₹10 जमा करने के बाद एक घण्टे तक रिकार्ड देख सकता है।उसके बाद हर 15 मिनिट के लिए ₹5 देने होंगे।
इस अध्याय से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों का प्रश्न पत्र का हल करके देखें ।
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