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स्वच्छता एवं ठोस कचरा प्रबंधन

स्वच्छता
ठोस कचरा प्रबंधन अध्याय के महत्वपूर्ण बिंदु

स्वच्छता क्या है?

स्वच्छता एक व्यापक विचार है जिसमें कई बातें शामिल है जैसे मल मूत्र ,कचरे व दूषित जल आदि का निस्तारण करने की प्रक्रिया ही स्वच्छता कहलाती है।

स्वच्छता क्यों आवश्यक है?

स्वच्छता के अभाव में कई प्रकार की बीमारियां फैलती है तथा हमारा पर्यावरण भी प्रदूषित होता है जिसके कारण हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिए हमे स्वच्छता पर ध्यान देना आवश्यक है?

** प्राचीन शिक्षा पद्धति में यह यगोपवित संस्कार के बाद छात्रों को स्वच्छ रहने की शिक्षा दी जाती थी

स्वच्छता के प्रकार


(i) सामुदायिक स्वच्छताः इसका संबंध ग्रामीण लोगों की सहज और लापरवाही पूर्ण तरीके से खुले में मल त्याग प्रक्रिया से है। इसके माध्यम से ग्रामीण लोगों को खुले में मल त्यागने से रोकने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के को शौचालय बनाने हेतु ₹12000 की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, इन सुविधाओं से परिचित कराना है।


(ii) शुष्क स्वच्छताः इसका तात्पर्य शुष्क शौचालय, पैशाबघर का उपयोग करने से है ।केवल हाथ धोना ही इसका उद्देश्य नहीं है।


(iii) पारिस्थितिक स्वच्छताः  सुरक्षित कृषि उपायों और स्वच्छता से संबंधित हैं भारत कृषि कार्य में रासायनिक खाद और दवाइयों का कम से कम उपयोग किया जाए जिससे लोगों को पौष्टिक आहार मिल सके तथा हमारा पर्यावरण भी सुरक्षित रहे ।जैविक फसलों के उत्पादन को सरकार द्वारा  प्रोत्साहित किया जाए ।


(iv) पर्यावरणीय स्वच्छताः   इसमे पर्यावरण से उन कारणों को हटाया या नियंत्रित किया जाता है जिनसे बीमारिया पैदा होती है और ऊर्जा की बचत और पर्यावरण के प्रदूषण को कम करना ही पर्यावरणीय स्वच्छता का उद्देश्य है। मल-मूत्र के पुनर्चक्रण से भू-जल, नदियों और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है


(v) सुथरी व बिना सुथरी स्वच्छताः हजारों वर्ष पुरानी गृह स्तर पर मानव के मल-मूत्र त्याग नियंत्रण से है। इसमें स्वच्छता और पानी की आपूर्ति की व्यवस्था की जाती है।


(vi) स्वच्छता का अभावः इसका संबंध सामान्य रूप से शौचालय के अभाव से है। इसका प्रयोग व्यक्ति स्वेच्छा से  करता है। इसका अभाव खुले में मल-मूत्र त्याग और जनस्वास्थ्य के संबंध में गहन संबंध रखता है।


(vii) पुष्टिकारक स्वच्छताः यह संपूर्ण स्वच्छता की मुख्य धारा से है। उपभोक्ता के अनुभव पर विष्ठा, मल-मूत्र और दूषित जल के परिवहन, उपचार, पुनः उपयोग या निस्तारण के तरीके शामिल हैं। इनसे पर्यावरणीय तथा प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा होती है।







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