ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect
- पृथ्वी के वायुमण्डल में बढ़ती हुई हानिकारक गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन ,मीथेन आदि वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर जमकर धरती के तापमान में वृद्धि कर रही है ।इसे ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहते है।
- सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणें जब पृथ्वी की सतह से टकराती है तो ये किरणे अवरक्त किरणों में बदल जाती है ओर पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर चली जाती है परंतु पृथ्वी के वायुमण्डल की ग्रीन हाउस गैसें कुछ अवरक्त किरणों को रोक कर वायुमण्डल को गर्म रखती है।
- यदि ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा वायुमण्डल में बढ़ जायेगी तो पृथ्वी का वायुमण्डल ज्यादा गर्म हो जाएगा। जिससे पहाड़ो पर जमी बर्फ पिघलने लग जायेगी जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ जाएगा ।और ऐसे द्वीप तथा शहर जो समुद्र के किनारे है समुद्र में डूब जायेगे जैसे बांग्लादेश, मालद्वीप आदि
- बढ़ती जनसंख्या के कारण जीवाश्म ईंधन की खपत बढ़ती जा रही है जिससे वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ रही है जो धरती के तापमान को बढ़ा रही है इसलिये गैसों के उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है ।
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